मेडटेक में भारत की ऊंची छलांग: मीसो-मेरिल का बेहतरीन नी रिप्लेसमेंट रोबॉट

देहरादून। मेरिल ने, नी रिप्लेसमेंट रोबॉट मीसो को लॉन्च करके भारत के मेडिकल टेक्नोलॉजी सेक्टर में एक ऐतिहासिक कामयाबी हासिल की है। यह रोबॉट मेड इन इंडिया है ये तकनीक रोबोटिक सर्जरी में एक बहुत महत्वपूर्ण उपलब्धि है और मेडिकल टेक्नोलॉजी सेक्टर में भारत की ताकत को दर्शाती है।
मीसो रोबॉट को अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके बनाया गया है और काम करने की क्षमता के हिसाब से डिजाइन का भी ध्यान रखा गया है, जिसके कारण ये अपने काम में बिल्कुल सटीक और कंसिस्ट है। एडवांस्ड टेक्नोलॉजी की वजह से यह रोबॉट ऑपरेशन की प्रक्रिया को आसान बनाता है जिससे रोगी को रिकवरी में कम समय लगता है।
मेरिल के हेड ऑफ मार्केटिंग, इंडिया एंड ग्लोबल मनीष देशमुख ने कहा कि मेरिल को मिसो की लॉन्चिंग करते हुए खुशी हो रही है। इसमें भारत में रोबोटिक तरीके से घुटना प्रत्यारोपण सर्जरी की व्यवस्था को लोकतांत्रिक बनाने की क्षमता है। पिछले 20-25 साल में ऑस्टियोआर्थराइटिस के प्रति संवेदनशील लोगों की संख्या करीब 2.3 करोड़ से बढ़कर 6.2 करोड़ पर पहुंच गई है। दिल से जुड़ी बीमारियों के बाद ये भारत में दूसरी सबसे बड़ी डिजीज मॉडेलिटी हो गई है। घुटना प्रत्यारोपण सर्जरी की वास्तविक आवश्यकता और घुटना प्रत्यारोपण के लिए होने वाली कुल सर्जरी के बीच के अंतर को पाटने में रोबोटिक सर्जरी से मदद मिल सकती है। वर्तमान समय में भारत में रोबोटिक सर्जरी की लागत बहुत बड़ी चुनौती है।
यहां के अस्पताल दूसरे देशों से रोबोटिक सिस्टम खरीदने के लिए निवेश करने में भी झिझकते हैं, क्योंकि इसके लिए सर्जन और ओटी स्टाफ का प्रशिक्षण भी जरूरी हो जाता है और इस पूरी प्रक्रिया में बड़ा समय लगता है। मिसो के माध्यम से हमारा लक्ष्य स्वदेशी प्लेटफॉर्म प्रदान करते हुए इस चुनौती का प्रभावी समाधान पेश करना है। इस टेक्नोलॉजी के साथ पूरा प्रशिक्षण एवं सपोर्ट भी प्रदान किया जाएगा। इससे रोबोटिक सर्जरी को केवल मेट्रो शहरों ही नहीं बल्कि टियर 2 एवं टियर 3 शहरों में भी उपलब्ध कराना संभव होगा।
उन्होंने आगे कहा कि इस लॉन्चिंग से जॉइंट रिप्लसमेंट सर्जरी और रोबोटिक्स के मामले में भारत में हमारी अग्रणी स्थिति को मजबूती मिलेगी। हम इस एडवांस्ड रोबोटिक सिस्टम के निर्यात की संभावना पर भी काम कर रहे हैं, जिससे भारत दुनियाभर में रोबोटिक सर्जरी की उपलब्धता बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाने में सक्षम हो।
मीसो रोबॉट रियल टाइम डेटा को सर्जिकल प्लानिंग के साथ इंटीग्रेटेड करने की क्षमता रखता है। एडवांस्ड इमेजिंग और थ्रीडी मॉडलिंग के जरिए यह रोबॉट सर्जन्स को प्रीऑपरेटिव प्लानिंग और इंट्राऑपरेटिव प्लानिंग में मदद करता है। यह सुनिश्चित करता है कि हर एक सर्जरी को पूरी सटीकता के साथ अंजाम दिया जाए ताकि नी इम्पालंटेशन में, अलाइनमेंट और पोजिशनिंग बिल्कुल सही बैठे। मीसो की यही सटीकता बदले जाने वाले घुटने की ड्यूरेबिलिटी को बढ़ाएगा और ऑपरेशन के बाद जब रोगी चलने फिरने लगेगा तो उसे भी संतुष्टि होगी।
रोबॉटिक असिस्ट नी रिप्लेसमेंट में, मीसो जैसे रोबॉट ने जो बेहतरीन काम किया है वो ऑर्थाेपेडिक सर्जरी के भविष्य की एक तस्वीर है। सर्जरी के बाद रोगियों की हालत में सुधार के लिए, उनकी सुरक्षा के लिए और ऑपरेटिंग रूम की कार्यकुशलता को बढाने के लिए यह बदलाव जरूरी है। घुटनों की परंपरागत सर्जरी की तुलना में रोबॉटिक नी सर्जरी काफी फायदेमंद है, इसमें ज्यादा चीरा नहीं लगता, ब्लड लॉस कम होता है और रोगी को उतना दर्द भी महसूस नहीं होता, जिसका सीधा मतलब यह है कि रोगी को ज्यादा परेशानी भी नहीं होती और वो बहुत जल्द एक सामान्य जीवन जीने लगता है।
मीसो के लॉन्च के साथ ही भारत में एडवांस्ड हेल्थकेयर का ऑप्शन भी मिल गया है जो ऐसी वर्ल्ड क्लास टेक्नोलॉजी पेश कर रहा है जो पहले सिर्फ पश्चिमी देशों के पास थी। मीसो की बदौलत देशभर के सर्जन पूरी तरह सटीक और एफिसिएंट नी सर्जरी कर सकते हैं, जिससे घुटनों की बीमारियों से पीड़ित लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सके।
मेरिल देश भर में स्किल्ड सर्जन्स की क्षमताओं को बढ़ा रही है और एडवांस्ड मेडिकल टेक्नोलॉजी तक ज्यादा से ज्यादा लोगों की पहुंच बने, इस पर ध्यान दे रही है।
भारत की मेडिकल टेक्नोलॉजी की यात्रा में मीसो का आना एक बेहतरीन कदम साबित होगा। यह सर्जिकल रोबॉटिक्स में की जा रही प्रगति का भी एक उदाहरण है। साथ ही इस तरह की स्वदेशी तकनीक के जरिए वैश्विक स्तर पर भी अलग प्रभाव पड़ता है, मेडटेक के क्षेत्र में भारत अब दुनिया की अगुवाई करने के लिए तैयार है और यह सुनिश्चित करता है कि मरीजों को अत्याधुनिक सर्जिकल टेक्नोलॉजी से बेहतरीन इलाज मिले।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *