कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि कांग्रेस का गैरसैंण को लेकर स्टैंड बिलकुल साफ है। गैरसैंण राज्य की राजधानी होनी ही चाहिए। 14 जून को दून में विधानसभा का सत्र शुरू होने जा रहा है। ठीक उसी दिन पूर्व सीएम रावत वहां गैरसैंण की उपेक्षा के विरोध में उपवास करने जा रहे हैं।
पार्टी कार्यकर्ताओं भी उपवास में शरीक होने के निर्देश दे दिए गए हैं। माहरा ने कहा कि पूर्व सीएम हरीश रावत और तत्कालीन विस अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने इस दिशा में पहल शुरू की थी। गैरसैंण में आज जो भी बुनियादी ढांचे का विकास हआ है, वो तत्कालीन कांग्रेस सरकार की ही देन है।
पर, वर्ष 2017 के बाद से सत्ता में आने के बाद से भाजपा लगातार गैरसैंण के साथ गैर जैसा ही व्यवहार कर रही है। वर्तमान बजट सत्र को गैरसैंण में न कराना भी इस उपेक्षा एक उदाहरण है। सरकार का तर्क है कि चारधाम यात्रा की वजह से सत्र को गैरसैंण में न कराने का निर्णय किया है।
लेकिन यह अपरिपक्व सरकार यह भूल जाती है कि यदि सरकार गैरसैंण में होगी तो चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं की मॉनिटरिंग और भी बेहतर तरीके से की जा सकती है। भाजपा ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी तो जरूर घोषित किया है, लेकिन उसके बाद सरकार ने पलटकर गैरसैंण को देखा तक नहीं है।