प्रदेश के डिग्री कॉलेजों में प्रोफेसरों के 179 पद खाली हैं। अंग्रेजी, गणित, कॉमर्स, भौतिक विज्ञान जैसे मुख्य विषयों में प्रोफेसरों की सबसे ज्यादा कमी है। उच्च शिक्षा विभाग को इन विषयों के लिए योग्य उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं। कई कोशिशों के बावजूद भी संबंधित विषयों में शिक्षकों के पद खाली हैं। यह स्थिति कॉलेजों में सभी पद भरे जाने को लेकर सरकार स्तर से होने वाले दावों की पोल खोल रही है।
प्रदेश में 120 स्नातक और परास्नातक डिग्री कॉलेज संचालित होते हैं। विभिन्न विषयों में प्रोफेसरों के 2311 पद हैं। इनमें से केवल 1543 पदों पर स्थाई शिक्षक नियुक्त हैं। जबकि रिक्त 768 पदों में से 584 पर अस्थाई शिक्षक नियुक्त हैं। प्रोफेसरों के पद 179 खाली चल रहे हैं।
इनमें सबसे ज्यादा कमी अंग्रेजी और गणित विषय के प्रोफेसरों की है। दोनों विषयों में क्रमश: 40 और 23 प्रोफेसरों के पद खाली हैं। इसके अलावा विज्ञान और कॉमर्स संकाय में भी प्रोफेसरों की कमी है। गौर करने वाली बात यह है कि खाली पदों में से 130 पद मुख्य विषयों के हैं। जबकि इतिहास, समाज शास्त्रत्त्, शिक्षाशास्त्रत्त्, भूगोल जैसे विषयों में एक या दो पद ही खाली हैं।
रिसर्च स्कॉलर्स के सहारे भी पढ़ाई
डिग्री कॉलेजों में प्रोफेसरों के पद खाली होने से पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। स्थिति ये है कि कई कॉलेजों में रिसर्च स्कॉलर्स भी क्लास ले रहे हैं। कुमाऊं के सबसे बड़े एमबीपीजी कॉलेज की ही बात करें तो यहां अंग्रेजी विषय में प्रोफेसरों के 6 पद खाली हैं। यहां तीन प्रोफेसर ही नियुक्त हैं। सभी रोजाना 2 से 3 क्लास ही पढ़ा पा रहे हैं। जबकि अन्य कक्षाओं में रिसर्च स्कॉलर पढ़ा रहे हैं। ऐसी ही स्थिति अन्य कॉलेजों में भी है।कुछ विषयों में काफी पद खाली हैं ये बात सही है। लेकिन पहाड़ के कॉलेजों में अस्थाई व्यवस्था करने के लिए प्राचार्यों को अधिकारी दिए गए हैं। जबकि मैदानी क्षेत्रों में ये अधिकार दिए जाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है।