बिहार में जेडीयू और बीजेपी में दूसरी बार तलाक के बाद नीतीश कुमार एक बार फिर आरजेडी, कांग्रेस के साथ सरकार बनाने जा रहे हैं। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में एक बात की चर्चा है कि क्या अरुण जेटली जीवित होते और सुशील मोदी नेपथ्य में नहीं होते तो जेडीयू, बीजेपी के बीच बात इतनी नहीं बिगड़ती। वैसे, इसके विरोध में एक तर्क यह भी दिया जा सकता है कि वर्ष 2013 में अरुण जेटली भी जीवित थे और सुशील मोदी उपमुख्यमंत्री की भूमिका में थे फिर भी नीतीश ने 17 साल पुराने नाते को तोड़ दिया था। पर, यह नहीं भूलना चाहिए कि राजनीति में परिस्थिति का सापेक्षिक महत्व तुलनात्मक रूप से काफी अधिक होता है। उस समय नीतीश को बीजेपी की ओर से लोकसभा चुनाव के लिए नरेंद्र मोदी को आगे बढ़ाना रास नहीं आया था।
राजनीतिक कौशल में माहिर रहे अरुण जेटली के बारे में कहा जाता रहा है कि वह दिल्ली में नीतीश के लिए सहारा थे। वर्ष 2005 के नवंबर में विधानसभा चुनाव से पहले अरुण जेटली ही थे, जिन्होंने नीतीश कुमार को एनडीए की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने के लिए जबर्दस्त पैरवी की थी। इसकी वजह से जेडीयू के तत्कालीन नेता जॉर्ज फर्नांडिस नाराज भी हो गए थे, तो उनकी नाराजगी भी जेटली ने ही दूर की थी कि आरजेडी को पदच्युत करने के लिए नीतीश एनडीए की ओर से सबसे मुफीद चेहरा हैं। नवंबर 2005 के चुनाव परिणाम में जेटली का यह दांव एकदम सटीक बैठा और बीजेपी-जेडीयू की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी। उसके बाद से ही अरुण जेटली के देहांत तक नीतीश ने उन्हें गुरु की तरह सम्मान दिया। इसका सबूत यह भी है कि अरुण जेटली के देहांत के बाद बिहार सरकार ने दो दिनों के राजकीय शोक की घोषणा की थी।
कड़वाहट के साथ 2013 में नीतीश की एनडीए से विदाई के बाद भी जेटली और नीतीश के बीच हमेशा मधुर संबंध बने रहे। बिहार के मुख्यमंत्री दिल्ली जाते तो अक्सर वित्त मंत्री अरुण जेटली के घर डिनर करते थे। 22 जुलाई 2017 को पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की विदाई डिनर में ही जेटली ने नीतीश कुमार को एनडीए के साथ वापस लाने की पटकथा शुरू कर दी थी। नीतीश को इस बारे में ब्रीफ किया गया था कि आरजेडी उनकी सरकार को गिराने की कोशिश में है। इसी डिनर में बीजेपी नेतृत्व की ओर से नीतीश को भरोसा दिलाया गया था कि वह महगठबंधन से बाहर आते हैं तो बीजेपी उन्हें समर्थन देगी। इसके बाद 26 जुलाई को अमित शाह ने सुशील मोदी को ही फोन करके नीतीश के समर्थन में बीजेपी विधायकों को पहुंचने के लिए कहा था।