सीएम पुष्कर सिंह धामी के हरिद्वार पंचायत में निष्पक्षता व पारदर्शिता के आश्वासन पूर्व सीएम हरीश रावत ने 18 अगस्त को प्रस्तावित उपवास कार्यक्रम स्थगित कर दिया। रावत का आरोप है कि आरक्षण और परीसीमन की आड़ में हरिद्वार में पंचायत चुनाव में स्थानीय नेतृत्व को समाप्त करने की साजिश रची जा रही है।
चाय बागानों की जमीनों की खुदबुर्द करने का आरोप लगाते हुए रावत ने सीबीआई जांच की पैरवी भी की।
मंगलवार शाम को रावत ने सीएम से उनके कैंट रोड स्थित आवास पर मुलाकात की। सीएम से मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में रावत ने कहा कि एक पूर्व सीएम का सीएम के आवास के बाहर उपवास करना अच्छा नहीं लगता।
लेकिन हालात ही कुछ ऐसे हो गए थे कि निर्णय लेना पड़ा। लेकिन उपवास से पहले मैंने एक बार सीएम से मिलकर बात करना उचित समझा। सीएम से विस्तार से बातचीत हुई है। अब यदि कुछ बदलाव किया जाता है तो चुनाव टल जाएंगे। इसलिए सहमति बनी है कि अब तक जो हुआ तो हुआ। लेकिन अब प्रशासन चुनाव के दौरान निष्पक्ष भूमिका निभाए।
यदि प्रशासन पारदर्शी या निष्पक्ष न दिखाई दिया तो कांग्रेस के पास आंदेालन के सिवा कोई चारा नहीं होगा। रावत ने सीएम के सामने स्वास्थ्य विभाग के उपनल कर्मचारियों का मुद्दा भी उठाया। सीएम ने कहा कि कैबिनेट में इस विषय में विचार किया जाएगा। रावत ने कहा कि कांग्रेस सरकार के वक्त स्मार्ट देहरादून बनाने की योजना के विरोध में तमाम भाजपाई तत्व आ गए थे।
अब खुलासा हो रहा है कि क्या वजह रही होगी। यदि इस मामले की सीबीआई जांच हो जाए तो जमीनों की खरीदफरोख्त की सडांध को सामने लाया जा सकता है।
भ्रष्टाचार पर सीएम की कठोर परीक्षा
यूकेएसएसएससी पेपर भर्ती घोटाले पर रावत ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ इस सीएम के सामने कठोर चुनौती है। इस मामले में भाजपा की संलिप्तता करीब करीब साबित हो चुकी है। हाकम सिंह ने इस मामले में भाजपा को पूरी तरह से लपेट लिया है।
सीएम के आंकलन को एक साल का वक्त जरूरी
सीएम धामी के पांच माह के कार्यकाल के आंकलन करने से रावत ने फिलहाल इंकार किया। कहा कि किसी सीएम के कार्यकाल के आंकलन के लिए कम से कम एक साल का वक्त चाहिए। हां यह जरूर है कि राज्यहित से जुड़े मुद्दों पर कांग्रेस बीच बीच में सवाल उठाती रहेगी।
भाजपा अध्यक्ष को दी सलाह
रावत ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को भी नसीहत की कि किसी की राष्ट्रपति को तौलने का अधिकार न तो भाजपा को है और नही कांग्रेस को। जिस प्रकार बयान भटट जी लगातार दे रहे हैं, उससे लगता है उन्हें अध्यक्षी रास नहीं आ रही है।