उत्तराखंड: पिथौरागढ़ के सिरसोलीपट्टी गांव के 50 घरों में दरारें

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में सिरसोलीपट्टी-बनकोट गांव में 50 घरों में 0.1 मिमी से दो मिमी की दरारें पाई गईं हैं। यह बात भू वैज्ञानिकों के सर्वेक्षण में सामने आई है। दरारों का कारण खुटानी हाइड्रो प्रोजेक्ट के निर्माणाधीन टनल में हो रहे विस्फोट को माना गया है।

सरयू नदी में खुटानी पावर प्रोजेक्ट कंपनी 21 मेगावाट के हाइड्रो पावर हाउस का निर्माण कर रही है जिसमें दो टनल बनाए जा रहे हैं। अनुसूचित जाति बहुल सिरसोली पट्टी गांव के लोग निर्माणाधीन टनल में हो रहे विस्फोट की वजह से घरों और अन्य स्थानों पर आ रही दरारों की शिकायत एक साल से कर रहे हैं। इसके लिए धरना-प्रदर्शन किया गया।

 

प्रशासन ने शिकायत का संज्ञान लेकर सर्वेक्षण का निर्णय लिया और टीम गठित की। टीम में भू-तत्व एवं खनिकर्म इकाई के उपनिदेशक और भूवैज्ञानिक दिनेश कुमार, तहसीलदार कुंदन नयाल, कानूनगो रमेश गिरी, खुटानी पावर प्रोजेक्ट के सिविल प्रबंधक कुंवर सिंह कोरंगा, प्रशासनिक इंचार्ज विष्णु दत्त शर्मा को शामिल किया गया। 10 अप्रैल को किए गए सर्वेक्षण में टीम ने गांव के सर्वेक्षण में पाया कि 50 घरों में दरारें पाई गई हैं। सर्वेक्षण के बाद रिपोर्ट डीएम को भेज दी गई है।

सर्वेक्षण रिपोर्ट

  • गांव में 40 साल पुराने आवास हैं। ये कालम-बीम आधारित संरचना पर बने हैं।
  • मकान बनाते समय क्षेत्र में पहाड़ी ढाल की ओर उचित स्थान नहीं छोड़ा गया है।
  • न सुरक्षा दीवारों का निर्माण किया गया है।
  • यहां कमजोर चट्टानें हैं।
  • टनल के निर्माण के लिए विस्फोट किया जा रहा है।
  • आवासीय भवनों की संरचना पुराने पारंपरिक रूप में होने और निर्माणाधीन टनल में ब्लास्टिंग होने के कारण दरारें पड़ने की आशंका है।
  • भविष्य में ब्लास्टिंग के हल्के कंपन से दरारों में बढ़ोत्तरी हो सकती है।
  • दरारों की उचित तकनीक अपनाकर और लगातार वीडियोग्राफी कराकर दरारों और अन्य का मरम्मत कार्य कराना जरूरी है।
  • निर्माणाधीन टनल के आसपास स्थित गांवों की भी लगातार मॉनीटरिंग की जानी चाहिए।

काम बंद करने की चेतावनी

बनकोट गांव के ग्रामीणों का कहना है कि दरारों की शिकायत लंबे समय से कंपनी और शासन-प्रशासन से कर रहे हैं। इसके बाद भी सुरक्षात्मक कार्य नहीं किए जा रहे हैं। उन्होंने जबरन काम बंद कराने की चेतावनी दी है।

जांच रिपोर्ट अभी मिली नहीं है। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद ही इसका अध्ययन कर मामले में आवश्यक कार्यवाही की जाएगी।

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