Joshimath: और गहरी, लंबी, चौड़ी हुईं धरती की दरारें, अब सामने आया नया खतरा, पढ़ें भूधंसाव की लेटेस्‍ट अपडेट

चमोली जिले के जोशीमठ में भूधंसाव की स्थिति दिन प्रतिदिन चिंता बढ़ा रही है। धरती की सतह की दरारें अब गहरी, लंबी और चौड़ी होती जा रही हैं।

इसके साथ ही इसका असर जलस्रोतों पर भी नजर आने लगा है। 25 जनवरी को जोशीमठ के वार्ड चार में स्थिति नाले का पानी लगभग सूखने की कगार पर पहुंच गया था।

अभी विज्ञानी इसके अचानक सूखने के कारण तलाश ही रहे थे कि एक जलस्रोत मारवाड़ी क्षेत्र की निचली पहाड़ी पर फूट पड़ा। विज्ञानी इन दोनों घटनाओं का आपस में संबंध होने से भी इन्कार नहीं कर रहे हैं। वहीं, रविवार को जलधारा का प्रवाह 170 लीटर प्रति मिनट (एलपीएम) पर था।

जलस्रोत फूटने की चर्चा तेज

उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) के पूर्व निदेशक व एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के प्रोफेसर एमपीएस बिष्ट के मुताबिक, उन्होंने नए जलस्रोत फूटने की घटना को समझने का प्रयास किया है। जलस्रोत फूटने को लेकर चर्चा भले ही अब तेज हुई है।

भूविज्ञानी प्रो. एमपीएस बिष्ट के मुताबिक, दोनों घटनाओं का आपस से संबंध होने की प्रबल संभावना है। क्योंकि, भूधंसाव के चलते साथ की दरारें जमीन में काफी भीतर तक गहरी होती दिख रही हैं।

ऐसे में हो सकता है कि इससे जलस्रोत जमीन के भीतर अपना मार्ग बदलने लगे हैं। इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि वार्ड चार के नाले का पानी मारवाड़ी की निचली पहाड़ी पर नए जलस्रोत के रूप में फूट पड़ा। इसी दिशा में और अध्ययन की जरूरत है और जलस्रोतों में आ रहे बदलाव की गहन निगरानी जरूरी है।

जमीन के विष्णुप्रयाग की तरफ खिसकने के संकेत

भूविज्ञानी प्रो. एमपीएस बिष्ट के मुताबिक, मारवाड़ी की निचली पहाड़ी पर जलधारा फूटने के साथ यहां पर ताजा भूस्खलन भी देखा गया है। इसके साथ ही बड़े-बड़े पत्थर भी लुढ़ककर नदी की तरफ आ रहे हैं। यह स्थिति बताती है कि जोशीमठ की जमीन विष्णुप्रयाग की तरफ खिसक रही है। सेटेलाइट व जीपीएस के माध्यम से जमीन में हो रहे मूवमेंट पर बारीकी से नजर रखने की जरूरत है।

जोशीमठ में भूधंसाव से पहुंचे नुकसान का सर्वे पूरा

जोशीमठ में भूधंसाव से नुकसान का जिला प्रशासन ने सर्वे पूरा कर लिया है। शासन स्तर पर गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति की सोमवार को होने वाली बैठक में इसका ब्योरा रखा जाएगा। साथ ही, सीबीआरआइ द्वारा भवनों को पहुंची क्षति को लेकर कराए गए आकलन पर भी चर्चा होगी।

सर्वे में सामने आए बिंदुओं के आधार पर केंद्र सरकार को भेजे जाने वाले राहत पैकेज के प्रस्ताव को अंतिम रूप देने समेत प्रभावितों के लिए मुआवजा निर्धारण समेत अन्य बिंदुओं पर भी चर्चा होगी। वहीं, अब राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की रिपोर्ट पर सभी की नजर टिकी हुई हैं।

विद्यालय बने राहत शिविर, फिर कहां पढ़ेंगे 1495 विद्यार्थी

शीतकालीन अवकाश की अवधि समाप्त होने के बाद एक फरवरी से जोशीमठ शहर में विद्यालय खोले जाने हैं। लेकिन, इनमें से सात विद्यालयों में आपदा प्रभावितों के लिए बने अस्थायी राहत शिविरों में इन दिनों 450 लोग रह रहे हैं।ऐसे में इन विद्यालयों का संचालन कैसे हो पाएगा, यही चिंता इनमें अध्ययनरत 1495 छात्र-छात्राओं के साथ ही उनके अभिभावकों को भी परेशान किए हुए है। शिक्षा विभाग का कहना है कि इन विद्यालयों के संचालन को लेकर रोडमैप तैयार किया जा रहा है।

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