कड़ाके की सर्दी के बीच कलियर दरगाह में जायरीन खुले आसमान के नीचे लेटने को मजबूर हैं। यहां रात बिताने की कोई व्यवस्था नहीं है, जिसकी वजह से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दरगाह की ओर से भी पर्याप्त संख्या में अलाव नहीं जलाए जा रहे हैं।
दरगाह पिरान कलियर में दूर-दूर से बड़ी संख्या में जायरीन जियारत के लिए आते हैं। जो सक्षम हैं वह तो दरगाह क्षेत्र में बने गेस्ट हाउस आदि में कमरा ले लेते हैं, लेकिन अधिकांश जायरीन सक्षम नहीं हैं। इसकी वजह से वह दरगाह दफ्तर के पहाड़ी गेट, बुलंद दरवाजा के सामने खुले में रात को लेटते हैं। कड़ाके की सर्दी के बीच यहां पर्याप्त संख्या में अलाव की व्यवस्था तक नहीं है। जो अलाव लगाया जाता है, वह थोड़ी बहुत देर में ही समाप्त हो जाता है।
दरगाह प्रबंधन इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा रहा है, जबकि यहां कड़ाके की सर्दी पड़ती है। यह स्थिति तब है जब दरगाह के पास करोड़ों रुपये का दान आता है, लेकिन दरगाह प्रबंधन जायरीनों की सुविधाओं पर खर्च नहीं कर रहा है। दरगाह प्रबंधक शफीक अहमद ने बताया कि अलाव की और बेहतर व्यवस्था की जा रही है।