कांग्रेस पार्टी में कुर्सी की खींचतान नई बात नहीं है। बीते दिनों देहरादून महानगर कांग्रेस अध्यक्ष की विदाई और कार्यकारी अध्यक्ष को कमान सौंपने के बाद यह विवाद और गहरा गया है। पार्टी के भीतर वर्षों से पदों पर जमे कई पदाधिकारियों को लेकर सवाल उठ रहे हैं तो नए कार्यकारी अध्यक्ष भी कुर्सी की बाट जोह रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से बीते माह 19 नवंबर को 17 कार्यकारी जिलाध्यक्षों और महानगर अध्यक्षों की सूची जारी की गई थी। इनमें से कुछ स्थानों पर जिलाध्यक्षओं और महानगर अध्यक्षों ने स्वयं से इस्तीफा देकर कमान नए कार्यकारी अध्यक्षों को सौंप दी है, जबकि कुछ अभी भी पार्टी की ओर से पत्र मिलने का इंतजार कर रहे हैं। पार्टी सूत्रों की मानें तो एक बार कार्यकारी अध्यक्ष के नाम की घोषणा होने के बाद पुराने अध्यक्ष स्वत: पद छोड़ देते हैं। फिलहाल खेमों में बंटी कांग्रेस में ऐसा नहीं हो रहा है।
नाम नहीं छापने की शर्त पर कुछ पुराने अध्यक्षों ने बताया कि वह निर्वाचित होकर अध्यक्ष बने हैं। एआईसीसी के चुनाव प्राधिकरण की ओर से उन्हें बकायदा नियुक्ति पत्र जारी किया गया है। उन्हें ऐसे ही नहीं हटाया जा सकता है। दूसरी ओर यदि उदयपुर में हुए चिंतन शिविर में लिए गए निर्णयों के अनुसार पुराने पदाधिकारियों को हटाने की कार्रवाई की जा रही है तो यह नियम सभी पर लागू होता है। उनका कहना है कि अभी जो लिस्ट आई है, उसे जारी करने से पहले पार्टी चुनाव प्राधिकरण की संस्तुति भी नहीं ली गई है।
इन्हें सौंपी गई है कार्यकारी जिला अध्यक्ष की कमान