हिमस्खलन त्रासदी: दूसरे दिन भी लापता पर्वतारोहियों का नहीं चला पता, 26 पर्वतारोही तक नहीं पहुंचा बचाव दल

उत्तराखंड में हिमस्खलन त्रासदी के बाद दूसरे दिन भी 26 लापता ट्रेनी पर्वतारोहियों का कुछ भी पता नहीं चल पाया है। उत्तरकाशी के द्रौपदी का डांडा -02 आरोहण अभियान के दौरान हादसे का शिकार हुए, पर्वतारोही दल तक दूसरे दिन भी बचाव टीमें नहीं पहुंच पाई हैं। दुर्घटनास्थल पर एयर ऑपरेशन संभव न होने के कारण, बचाव दलों को डोकरानी बामक में बने बेस कैम्प से पैदल ही रवाना होना पड़ा।

देर शाम तक टीमें हादसे वाली जगह पर नहीं पहुंच पाई थी। इस हादसे के बाद से अब भी 26 लोगों का पता नहीं चल पाया है। उक्त हादसा मंगलवार सुबह पौने नौ बजे के करीब हुआ था, इसके बाद मंगलवार को मौसम खराब होने के कारण बचाव अभियान शुरू नहीं हो पाया था। बुधवार को दिन भर मौसम साफ रहा, इस कारण मातली स्थित आईटीबीपी कैम्पस से एक चीता हेलीकॉप्टर ने कुछ बचाव कर्मियों के साथ दुर्घटना स्थल के लिए उड़ान भरी लेकिन वहां पर बचाव कर्मियों को ड्राप करना संभव नहीं हो पाया।

इसके चलते हेलीकॉप्टर एयर रैकी के बाद वापस लौट गया। इसके बाद बेसकैम्प में मौजूद एसडीआरएफ, निम और आईटीबीपी की टीमों को पैदल ही मौके लिए रवाना किया गया। एसडीआरएफ के कमांडेंट मणिकांत मिश्रा ने बताया कि देर शाम तक टीमें मौके पर पहुंचने का प्रयास कर रही थीं।

26 पर्वतारोही अब भी लापता
एसडीआरएफ कमांडेंट ने बताया कि हादसे का शिकार हुए दल में कुल 34 ट्रेनी सहित कुल 42 पर्वतारोही शामिल थे जिसमें से चार के शव बरामद हो चुके हैं, जबकि 12 घायलों को सुरक्षित उत्तरकाशी पहुंचाकर उपचार दिया जा रहा है, इसके अलावा बेस कैंप से भी कुछ लोगों को उपचार के लिए उत्तरकाशी लाया गया। इस तरह हादसे के बाद से अब भी 26 लोगों का पता नहीं चल पा रहा है।

175 कुल पर्वतारोही शामिल थे अभियान में
122 ट्रेनी, प्रशिक्षक शामिल थे बेसिक कोर्स वाले
53 ट्रेनी, प्रशिक्षक शामिल थे एडवांस कोर्स में
26 पर्वतारोही अब भी लापता, चार के शव बरामद

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