विद्यालयों के सिलेबस में जुड़ा यह नया विषय, मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया था फैसला

प्रदेश के राजकीय विद्यालयों में कक्षा एक से 12वीं तक स्वास्थ्य एवं स्वच्छता विषय पढ़ाया जाएगा। शिक्षा सचिव रविनाथ रमन ने इस विषय को पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने के आदेश जारी किए है।मंत्रिमंडल ने बीती 25 अगस्त को स्वास्थ्य एवं स्वच्छता विषय को राजकीय विद्यालयों में लागू करने का निर्णय किया था।

स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के प्रति विद्यार्थियों को शिक्षित एवं जागरूक करने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। प्राथमिक से लेकर माध्यमिक स्तर तक छात्र-छात्राओं में इस बारे में उदासीनता देखने को मिल रही है।

परिणामस्वरूप सामान्य से लेकर संक्रामक बीमारियों की चपेट में छात्र-छात्राएं आ रहे हैं। केंद्र सरकार की ओर से भी इस बारे में लगातार जोर दिया जा रहा है। विद्यालयों के माध्यम से बच्चों में साफ-सफाई, स्वच्छ पेयजल के प्रति जागरूकता उत्पन्न हो, ताकि इसके अभाव में पनपने वाली बीमारियों से बचाव किया जा सके।

इस विषय को पढ़ाने से विद्यालयों में भी वातावरण तैयार हो सकेगा। पाठ्यक्रम में इस विषय को सम्मिलित करने के संबंध में विद्यालयी शिक्षा महानिदेशक ने शासन को प्रस्ताव उपलब्ध कराया था। इस पाठ्यक्रम को राज्यपाल ने भी अनुमाेदित कर दिया है। अब इसे विद्यालयी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। शासन ने महानिदेशक को इस संबंध में आगे कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।

शुल्क निर्धारण में केंद्रीय विश्वविद्यालय का रवैया बाधक

प्रदेश में निजी व्यावसायिक शिक्षण संस्थाओं के पाठ्यक्रमों के शुल्क निर्धारण में विश्वविद्यालयों का रवैया आड़े आ रहा है। प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति के सख्त निर्देशों के बावजूद हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय अपने संबद्ध संस्थानों का ब्योरा उपलब्ध नहीं करा रहा है। समिति अब विश्वविद्यालय की नाफरमानी की शिकायत केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से कर सकती है।

प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति इन दिनों विभिन्न निजी एवं व्यावसायिक शिक्षण संस्थाओं के शुल्क निर्धारण की प्रक्रिया में जुटी हुई है। अध्यक्ष नहीं होने के कारण लंबे समय से समिति का कामकाज ठप रहा था।

तीन वर्ष मनमाने तरीके से लिया शुल्क

इस कारण निजी संस्थानों ने पिछले तीन वर्षों में मनमाने तरीके से शुल्क निर्धारण किया है। अब समिति के अध्यक्ष का जिम्मा न्यायाधीश महबूब अली (हाईकोर्ट से सेवानिवृत्त) संभाल चुके हैं। समिति की ओर से प्रदेश के संबद्धता प्रदान करने वाले सभी राज्य विश्वविद्यालयों से निजी व व्यावसायिक शिक्षण संस्थाओं का ब्योरा तलब किया है।

दो विश्वविद्यालय दे चुके हैं ब्योरा

कुमाऊं विश्वविद्यालय और श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय की ओर से संस्थानों का ब्योरा दिया गया, लेकिन केंद्रीय विश्वविद्यालय की ओर से समिति के पत्रों का जवाब देना तक उचित नहीं समझा जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति ने अब विश्वविद्यालय के रवैये को गंभीरता से लेने के संकेत दिए हैं।

अब तक सात से अधिक पत्र भेजे जा चुके

संपर्क करने पर समिति की नोडल अधिकारी डा रचना नौटियाल ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय से संबद्ध निजी व्यावसायिक शिक्षण संस्थाओं की जानकारी नहीं मिल पा रही है। इससे शुल्क निर्धारण की प्रक्रिया बाधित हो रही है। समिति अब तक सात से अधिक पत्र विश्वविद्यालय को भेज चुकी है। विश्वविद्यालय ने पत्रों का जवाब देने की आवश्यकता महसूस नहीं की।

Leave a Reply

Your email address will not be published.