जिला सहकारी बैंकों में चतुर्थ श्रेणी के 423 पदों (गार्ड) की भर्ती में विशेष प्रमाणपत्रों के बोनस अंकों की आड़ में धांधली की गई।
चहेतों को एडजस्ट करने के लिए खेलकूद व अनुभव प्रमाणपत्रों के आधार पर मनमाफिक अंक दिए गए, जबकि तमाम अभ्यर्थियों को राष्ट्रीय सेवा योजना, नेशनल कैडेट कोर के महत्वपूर्ण प्रमाणपत्रों के अंक ही नहीं दिए गए।
इसके चलते तमाम योग्य अभ्यर्थी मेरिट में पिछड़ गए, जबकि चहेते आगे आ गए। सूत्रों के अनुसार इस भर्ती में गड़बड़ी की जांच कर रही समिति की ओर से शासन को सौंपी गई देहरादून व पिथौरागढ़ जिले की रिपोर्ट में ये तथ्य सामने आए हैं।
ऊधमसिंहनगर जिले की रिपोर्ट भी अंतिम चरण में
बताया गया कि ऊधमसिंहनगर जिले की रिपोर्ट भी अंतिम चरण में है, जो जल्द ही शासन सौंपी जाएगी। तीनों रिपोर्ट का गहन अध्ययन करने के बाद शासन इस मामले में निर्णय लेगा।
प्रदेश के सभी 10 जिला सहकारी बैंकों में वर्ष 2020 में चतुर्थ श्रेणी के पदों के लिए विज्ञप्ति निकाली गई थी। चयन प्रक्रिया प्रारंभ होने पर हरिद्वार जिले में इसमें गड़बड़ी की बात सामने आने पर वहां इसकी प्रक्रिया रोक दी गई थी, जबकि अन्य जिलों में यह जारी थी।
इस बीच चार जिलों देहरादून, पिथौरागढ़, ऊधमसिंहनगर व अल्मोड़ा में प्रक्रिया पूर्ण होने के साथ ही इस वर्ष मार्च में चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देना प्रारंभ किया गया।
बात सामने आई कि चहेतों को नियुक्तियां देने के लिए नियम कानूनों को ताक पर रख दिया गया। मार्च में नई सरकार का गठन होने के बाद शासन ने सभी जिलों में यह भर्ती प्रक्रिया स्थगित कर दी थी।
साथ ही देहरादून, पिथौरागढ़ व ऊधमसिंहनगर जिलों में जांच के लिए तत्कालीन उपनिबंधक सहकारिता नीरज बेलवाल की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की। अल्मोड़ा से भी शिकायतें थीं, लेकिन वहां का मामला पहले ही हाईकोर्ट में विचाराधीन है।
जांच समिति ने कुछ समय पहले देहरादून जिले की जांच पूरी कर शासन को रिपोर्ट सौंप दी थी, जबकि पिथौरागढ़ की रिपोर्ट पांच सितंबर को शासन को सौंपी गई।
सूत्रों के अनुसार दोनों जिलों की रिपोर्ट में उल्लेख है कि चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नियुक्ति के लिए निबंधक से जो मानक निर्धारित हैं, उनकी अनदेखी की गई। विशेषकर, भर्ती में विशेष प्रमाणपत्रों के बोनस अंकों की आड़ में खेल किया गया।
अभ्यर्थियों को पांच से 10 अंक बोनस के रूप में देने का प्रविधान
अनुभव, खेलकूद, एनएसएस व एनसीसी के प्रमाणपत्रों के आधार पर अभ्यर्थियों को पांच से 10 अंक बोनस के रूप में देने का प्रविधान है।
सूत्रों ने बताया कि चहेतों को अनुभव व खेलकूद प्रमाणपत्रों के आधार मनमाने ढंग से बोनस अंक देकर मेरिट में लाया गया। रिपोर्ट में अनुभव व खेलकूद प्रमाणपत्रों के संदिग्ध होने का अंदेशा भी जताया गया है।
यही नहीं, कुछ अन्य मानकों की भी अनदेखी की गई। इसके अलावा इन नियुक्तियों के मद्देनजर गठित चयन कमेटियों के अध्यक्ष समेत सदस्यों की भूमिका पर भी अंगुली उठाई गई है।
ऐसे में संबंधित जिलों के सहकारी बैंकों के अध्यक्ष, महाप्रबंधक और सहायक निबंधक सहकारिता के संबंध में भी शासन निर्णय ले सकता है।