उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) में प्रिंटिंग प्रेस महज एक साल पहले ही स्थापित हुई थी, इस दौरान चार परीक्षाओं के प्रश्न पत्र ही यहां तैयार किए गए। लेकिन इतने कम समय में ही प्रिंटिंग प्रेस की गोपनीयता तार -तार हो गई। प्रिंटिंग प्रेस पर जैमर, चेकिंग, मोबाइल बैन और लॉगबुक एंट्री की व्यवस्था लागू होने के बावजूद माफिया मजे से पेपर आउट कर गया।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के रायपुर में नए भवन का उद्घाटन सितंबर 2020 में ही किया गया था। चूंकि इस दौरान कोविड के कारण दूसरे शहरों में आने -जाने पर तमाम तरह के प्रतिबंध थे तो आयोग ने अपने कार्यालय में ही कम क्षमता की प्रिंटिंग प्रेस लगाने का निर्णय लिया।
कई स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था: आयोग की ओर से प्रिंटिंग प्रेस के लिए सख्त एसओपी तैयार की गई है। इसमें अंदर बाहर 24 घंटे की सीसीटीवी निगरानी और गार्ड की सुरक्षा शामिल है। यहां परीक्षा नियंत्रक की अनुमति से ही गोपनीय सेल कर्मचारी के अलावा तकनीकी सेवा के लिए किसी को जाने की अनुमति होती है।
यहां तक कि अध्यक्ष, सदस्य और सचिव को भी प्रवेश की अनुमति नहीं है। जो भी प्रेस में जाएगा वो भी परीक्षा नियंत्रक की अनिवार्य उपस्थिति में जाता है, सभी के अंदर आते जाते समय चेकिंग लिए जाने और मोबाइल बाहर रखे जाने के आदेश हैं। लॉगबुक एंट्री भी की जाती है।
ब्ल्यू टूथ से लीक न हो इसके लिए जैमर भी लगा है। बावजूद इसके प्राइवेट कंपनी का कर्मचारी पैन ड्राइव लगाकर, पेपर चोरी कर गया। आयोग के तत्कालीन सचिव संतोष बडोनी के मुताबिक सौ करोड़ रुपए से अधिक टर्न ओवर वाली कंपनी ऐसा करेगी, यह अंदाजा नही था।
समय पर नहीं देखा सीसीटीवी
सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध होने के बावजूद आयोग ने मुकदमा दर्ज होने से पहले फुटेज तक खंगालने की जहमत नहीं उठाई। सूत्रों के अनुसार पुलिस के पहुंचने पर ही सीसीटीवी देखी गई, जिसमें आरोपी प्रदीप पाल, पैनड्राइव का इस्तेमाल करते हुए पाया गया है। इस दौरान आयोग के अन्य कर्मचारी भी प्रेस के अंदर ही मौजूद थे, लेकिन उस पर किसी की नजर नहीं गई।
आरएमएस टैक्नोसॉल्यूशन कंपनी 2015-16 से आयोग में अपनी सेवाएं दे रही थी, आयोग की तरफ से उसे सालाना करीब पांच करोड़ का काम दिया जाता था, कंपनी उत्तराखंड में और भी विभागों और आयोगों में सेवा दे रही थी। लेकिन कंपनी के मालिक के स्वयं इसमें शामिल होने का अंदाजा आयोग के अधिकारी नहीं लगा पाए।