पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखा लेटर, कहा-नहीं लड़ना चाहते चुनाव

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि वह विधानसभा चुनाव-2022 नहीं लड़ना चाहते हैं और पार्टी में रहकर भाजपा के लिए कार्य करना चाहते हैं। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखे पत्र में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि वह भाजपा और जनता के लिए कार्य करना चाहते हैं, इसलिए उन्हें आगामी चुनाव नहीं लड़ाया जाए। बता दें कि त्रिवेंद्र सिंह रावत देहरादून की डोईवाला विधानसभा सीट से विधायक हैं।

त्रिवेंद्र ने कहा कि उत्तराखंड में भाजपा की दोबारा सरकार बनाने के लिए वह कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत के चुनाव नहीं लड़ने के साथ ही एक बड़ा सवाल उठ रहा है कि क्या उन्हें हार का डर सता रहा है? दूसरी ओर, राजनैतिक सूत्रों की माने, तो त्रिवेंद्र सिंह रावत को केंद्र में कोई बड़ी जिम्मेदारी भी दी जा सकती है।

अगर, त्रिवेंद्र सिंह रावत वाकई में चुनाव नहीं लड़ेंगे तो बीजेपी के सामने भी समस्या खड़ी हो जाएगी। ऐसे में पार्टी हाईकमान को डोईवाला विधानसभा सीट के लिए किसी जिताऊ उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारना होगा। भाजपा ने विधानसभा चुनाव 2022  के लिए ‘अबकी बार 60 के पार’ का नारा भी दिया है।  ऐसे में सही उम्मीदार का चयन बहुत जरूरी होगा, तकि बीजेपी अधिक से अधिक सीटें जीत सके। बता दें कि पार्टी हाईकमान के निर्देश के बाद पिछले साल 09 मार्च को त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस्तीफा दे दिया था।

बताया जा रहा था कि केंद्रीय नेतृत्व ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाने का फैसला पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर लिया था।पर्यवेक्षकों ने कोर ग्रुप और प्रमुख विधायकों-सांसदों की राय के आधार पर केंद्रीय नेतृत्व को बताया है कि राज्य में 2022 में होने वाले चुनाव को लेकर स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। भाजपा विधायकों ने उत्तराखंड पहुंच पर्यवेक्षकों के सामने यह आशंका जताई थी कि यदि त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री रहे तो पार्टी अगला चुनाव हार सकती है।

दिल्ली से विशेषतौर से भेजे गए पर्यवेक्षक रमन सिंह की अध्यक्षता में हुई कोर कमेटी की बैठक के बाद सिंह ने अपनी रिपोर्ट पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को सौंपी थी। उत्तराखंड में असंतुष्ट नेताओं सहित बेलगाम होती ब्यूरोक्रेसी सहित मंत्रिमंडल विस्तार में देरी बातों का उल्लेख किया गया था। साथ ही, देवस्थानम बोर्ड के गठन के बाद प्रदेशभर में विरोध भी मुख्य वजह बनी हुआ था। इन सभी मुद्दों को लेकर त्रिवेंद्र सिंह रावत पर गाज गिरी थी और उन्हें सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

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