भारत ने गुरुवार को लेखक सलमान रुश्दी पर हुए हमले को लेकर पहली बार प्रतिक्रिया दी। भारत ने रुश्दी के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की और ‘द सैटेनिक वर्सेज’ के लेखक पर ‘भयानक हमले’ की कड़ी निंदा की। यह सरकार की पहली औपचारिक प्रतिक्रिया है। ज्ञात हो कि पश्चिमी न्यूयॉर्क के चौटाउक्का संस्थान में 12 अगस्त को एक कार्यक्रम के दौरान अपना व्याख्यान शुरू करने जा रहे 75 वर्षीय सलमान रुश्दी पर एक व्यक्ति ने गले पर चाकू से वार किया था।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने सप्ताहिक प्रेस वार्ता में संवाददाताओं से कहा, ‘‘भारत हमेशा से हिंसा और कट्टरपंथ के खिलाफ रहा है। हम सलमान रुश्दी पर हुए भयावह हमले की निंदा करने के साथ ही उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हैं।’’ सलमान रूश्दी पर हुए इस हमले की पूरे विश्व में निंदा की गई थी और उनके लिये समर्थन व्यक्त किया गया था।
रूश्दी ने उनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘सैटेनिक वर्सेज’ के प्रकाशन के बाद ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला रूहोल्ला खोमेनेई द्वारा 1989 में उन्हें मारने को लेकर जारी किये गए फतवे के बाद से छिपकर रह रहे थे । दुनिया भर के बहुसंख्य मुसलमान इस उपन्याय को ईश निंदा के तौर पर देखते हैं । भारत इस उपन्याय पर प्रतिबंध लगाने वाले शुरुआती कुछ देशों में शामिल हैं ।रूश्दी पर हमला करने वाले की पहचान 24 वर्षीय हादी मातर के रूप में की गई है। रूश्दी पर हमले के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने कहा था कि ईरान के सरकारी संस्थानों ने रूश्दी के खिलाफ हिंसा को उकसाया क्योंकि लेखक हमेशा सर्वभौम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिये खड़े होते रहे।