जिम्मेदारी लेने में हिचकिचाहट या 2024 की तैयारी, राहुल गांधी दोबारा क्यों नहीं बनना चाहते हैं कांग्रेस अध्यक्ष?

कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव तय वक्त पर होगा। कांग्रेस कार्यसमिति की रविवार को होने वाली बैठक के बाद चुनाव तिथियों का ऐलान कर दिया जाएगा। पार्टी में छोटे से छोटे कार्यकर्ता से लेकर बड़े से बड़े नेता तक सभी चाहते हैं कि राहुल गांधी एक बार फिर यह जिम्मेदारी संभाले। पर राहुल फिलहाल तैयार नहीं दिखते। सवाल यह है कि वह अध्यक्ष क्यों नहीं बनना चाहते।

राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालने से इनकार की कई वजहें हैं। राहुल गांधी ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद उन्होंने सार्वजनिक मंच से कभी अपना रुख बदलने की बात नहीं की है। ऐसे में वह फिर अध्यक्ष बनते हैं, तो यह उनकी कथनी और करनी में अंतर के तौर पर देखा जाएगा।

लोकसभा चुनाव को लेकर रणनीति: पार्टी अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी नहीं लेने को राहुल गांधी की वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव रणनीति से जोड़कर भी देखा जा रहा है। कांग्रेस नेता मानते हैं कि कई विपक्षी दल उनके नेतृत्व पर सहज नहीं होगे। पार्टी का कोई और वरिष्ठ नेता अध्यक्ष पद संभालता है, तो विपक्षी एकता की संभावना बढ़ जाएगी। इसके साथ पार्टी को एकजुट रखने में भी मदद मिलेगी।

सकारात्मक संदेश की कोशिश: कांग्रेस के अंदर गांधी परिवार से बाहर के किसी नेता को अध्यक्ष बनाने की मांग काफी दिनों से उठती रही है। पार्टी के असंतुष्ट नेता आनंद शर्मा कह चुके हैं कि कांग्रेस को गांधी परिवार से बाहर भी सोचने की जररुत है। ऐसे में राहुल गांधी परिवार से बाहर किसी नेता को अध्यक्ष बनने का मौका देते हैं, तो इससे पार्टी के अंदर और बाहर सकारात्मक संदेश जाएगा।

यूपीए सरकार में मंत्री पद नहीं स्वीकारा: कई नेता राहुल गांधी के फिर अध्यक्ष नहीं बनने को उनके व्यक्तित्व से भी जोड़कर देख रहे हैं। उनका कहना है कि वह जिम्मेदारी स्वीकार करने में हमेशा हिचकिचाते रहे हैं। एक नेता ने कहा कि वह जब से सियासत में आए हैं, उनके अध्यक्ष बनने की मांग उठती रही है। उन्होंने 2017 में जाकर अध्यक्ष पद संभाला, पर 2019 के चुनाव में हार के बाद इस्तीफा दे दिया। यूपीए सरकार में भी ऑफर के बावजूद कोई मंत्री पद स्वीकार नहीं किया।

इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर चल रही इस पूरी बहस को चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के पार्टी को पुनर्जीवित करने के रोडमैप से भी जोड़कर देख रहे हैं। प्रशांत किशोर ने अप्रैल में पार्टी नेताओं के सामने पेश किए अपने प्रेजेंटेशन में गैर गांधी अध्यक्ष की वकालत की थी। इसके साथ एक परिवार एक टिकट, पदाधिकारियों का निश्चित कार्यकाल और युवाओं को मौका शामिल था। पार्टी उदयपुर नवसंकल्प में इन मुद्दों को शामिल कर चुकी है।

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