होली का त्योहार गुरुवार को धूमधाम से मनाया जाएगा। कोरोना केस कम होने पर इस बार लोगों में उल्लास है। लेकिन, चिकित्सा विशेषज्ञ सावधानी से होली के रंग खेलने की सलाह दे रहे हैं। आंखों और त्वचा का ख्याल रखने के साथ ही सांस के मरीजों को रंगों से दूर रहने की सलाह दी गई है। खाने-पीने में भी विशेष एहतियात बरतने को कहा गया है।
चटख रंगों से होता है नुकसान
वरिष्ठ चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिल आर्य और डॉ. सादिक उमर के अनुसार, होली पर मिलावटी रंग की बिक्री भी शुरू हो जाती है। लोग इसकी पहचान नहीं कर पाते। इससे त्वचा पर बुरा असर पड़ता है। चटख रंगों में जस्ता, जिंक, शीशा, अभ्रक, सिलिका, पोटेशियम, क्रोमियम एवं आर्सेनिक जैसे केमिकल नुकसानदायक होते हैं।
इनसे खुजली, आंखों में जलन और शरीर पर फफोले तक पड़ जाते हैं। यदि आंखों में रंग चला जाए तो तत्काल आंखों में पानी के छींटे मारकर साफ करें। होली खेलने से पहले हाथ और चेहरे पर नारियल, सरसों का तेल या कोई जैली लगा लें। शरीर पर लगे रंग को उबटन से उतारें।
इन सावधानियों का रखें ख्याल
-सिर पर टोपी या हैट लगाएं, जिससे बाल रंगों के दुष्प्रभाव से बचें।
-बच्चों को गुब्बारों से न खेलने दें। गुब्बारे आंखों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
-कोई रंग लगाने आए तो अपनी आंखों को बंद रखें।-आंखों में चश्मा पहनें, जिससे खतरनाक रंगों से आंखें बच सकें।
-रंगों से रंगे हाथों से आंखों को मसलने या रगड़ने की गलती न करें।
-चेहरे पर कोल्ड क्रीम लगाएं, ताकि रंग आसानी से निकल सके।
(चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. नाजिया खातून और नेत्र रोग डॉ. दुष्यंत गौतम के मुताबिक