हाईकोर्ट नैनीताल ने मंगलवार को चीन के चार नागरिकों की वतन वापसी को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की। मामले में सरकार की तरफ से स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा गया कि अगर इनकी रिहाई हो जाती है तो ट्रायल के दौरान ये अपने केस की पैरवी के लिए चीन से वापस नहीं आएंगे।
सरकार का पक्ष सुनकर कोर्ट ने निचली अदालत को आदेश दिए कि उनके केस को छह माह के भीतर अंतिम रूप से निस्तारित करें। मामले को सुनने के बाद न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने याचिका को निरस्त कर दिया। मामले के अनुसार चार चीनी नागरिक वांग गुवांग, शू जेन, निहेपैंग, और लियोजीनकांग 2018 में भारत घूमने आए थे।
जिन्हें मुम्बई पुलिस ने सोने के तस्करी के आरोप में पकड़ा था। बाद में इन लोगों को महाराष्ट्र हाईकोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया था। वर्ष 2019 में उत्तराखंड पुलिस ने इन्हें बनबसा में गिरफ्तार किया था। ये बनबसा के रास्ते नेपाल जा रहे थे। इनके पास भारत की फर्जी वोटर आईडी भी बरामद की गई।
पुलिस ने इनके खिलाफ फर्जी वोटर आईडी बनाने के आरोप में आईपीसी की धारा 420, 120बी 467 के तहत मुकदमा दर्ज किया। निचली अदालत ने फर्जी वोटर आईडी बनाने के कारण इनकी जमानत याचिका निरस्त कर दी थी। इस आदेश के खिलाफ इन्होंने हाईकोर्ट में जमानत के लिए प्रार्थना पत्र दिया। पूर्व में हाईकोर्ट ने इनकी जमानत मंजूर कर कहा था कि चारों अभियुक्त हर हफ्ते बनबसा थाने में हाजिरी देंगे। चारों अभियुक्तों द्वारा अपने वतन वापसी को लेकर याचिका दायर की गई थी।