अभिभावकों के लिए बुरी खबर है। बस और वैन किराए के बाद अब कुछ निजी स्कूल बच्चों की फीस बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं। इसके पीछे शिक्षक व कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने और बिल्डिंग मेंटिनेंस सहित कई मजबूरियां गिनाई जा रही हैं। राजधानी के कई बड़े पब्लिक स्कूलों ने हाल में चुपचाप अपनी स्कूल बसों और वैन का किराया 40 फीसदी तक बढ़ा दिया।
इससे अभिभावकों पर काफी आर्थिक बोझ बढ़ गया है। इसे लेकर अभिभावक काफी परेशान हैं। इसी बीच अब कुछ स्कूल बच्चों की फीस बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि पिछले दो साल से उन्होंने अपने शिक्षकों व कर्मचारियों का वेतन नहीं बढ़ाया। इस कारण अब मजबूरी में उन्हें वेतन बढ़ाना होगा, नहीं तो अच्छे शिक्षक स्कूल से चले जाएंगे।
इससे बच्चों की पढ़ाई और स्कूल की रेपोटेशन पर फर्क पड़ेगा। इसके अलावा स्कूल बिल्डिंग सहित तमाम बुनियादी ढांचे व सुविधाओं की मेंटिनेंस पर भी काफी बजट खर्च करना पड़ेगा। बच्चों की संख्या भी कम हो रही है। ऐसे में स्कूल फीस बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
सरकार टेकओवर कर ले स्कूल : पीपीएसए के अध्यक्ष प्रेम कश्यप का कहना है कि बिल्डिंग मेंटिनेंस पर ही हर साल बड़ा बजट खर्च होता है। इसके अलावा शिक्षकों व कर्मचारियों के वेतन पर भी काफी खर्चा है। अगर सरकार को लगता है कि निजी स्कूल फीस बढ़ाकर गलत करते हैं तो सरकार हमारे सारे स्कूलों को टेकओवर कर ले। इनको अपने हिसाब से चलाए।
कुछ स्कूलों ने गुपचुप बढ़ा भी दी फीस
राजधानी के कुछ पब्लिक स्कूलों ने तो चुपचाप फीस बढ़ा भी दी है। इन स्कूलों ने फीस 30 से 45 फीसदी तक बढ़ाई है। इसके अलावा कई स्कूलों ने फीस में देरी पर लेट फीस की व्यवस्था की है, जो कि चार से पांच सौ रुपये प्रति माह होगी।
हमने सभी स्कूलों से कहा है जरूरत के हिसाब से फीस बढ़ा सकते हैं। हमें भी अब शिक्षकों को वेतन बढ़ाना पड़ेगा, दो साल से वो इसी आस में हमारे स्कूलों में आनलाइन व आफलाइन पढ़ाई में लगे हैं। इसके अलावा बिल्डिंग मेंटिनेंस पर भी काफी बजट खर्च होगा। बच्चों की संख्या भी कम हो रही है। ऐसे में फीस बढ़ाना मजबूरी है। हम इस पर विचार कर रहे हैं।