कोरोना संक्रमण काल में रोजगार-स्वरोजगार देने के लिए उद्देश्य से शुरू किया गया सरकार का ‘होप’ अब जवाब दे गया है। होप (हेल्पिंग आउट पीपल एवरीव्हेयर) पोर्टल बीते दो साल से अपडेट तक नहीं किया गया है। इस पोर्टल में 2020 में 1800 नौकरियां होने की बात सरकार द्वारा बताई गई थी, आज दो साल बाद भी इतनी ही नौकरियां प्रदर्शित की जा रही हैं।
राज्य स्तर पर कौशल विकास निगम के निदेशक व जिला स्तर पर मुख्य विकास अधिकारी जैसे अफसरों की निगरानी वाली समितियां कर क्या रही हैं? किसी को खबर नहीं है। जहां सरकारें हर जिले में रोजगार-स्वरोजगार के भरपूर स्रोत होने के दावे कर रही हैं, वहीं राज्य सरकार का होप पोर्टल इन दावों की पोल खोल रहा है। पोर्टल के मुताबिक राज्य के 6 जिलों में रोजगार के लिए किसी भी सेक्टर में कोई वैकेंसी है ही नहीं।
मई 2020 में शुरू हुआ था होप पोर्टल
13 मई 2020 को तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने होप पोर्टल की शुरुआत की थी। पोर्टल शुरू करने के पीछे का मकसद कोरोना की पहली लहर के दौरान लॉकडाउन के चलते उत्तराखंड वापस लौटे प्रवासियों को रोजगार और स्वरोजगार के अवसर मुहैया कराना था। जिला स्तर की समितियों को काम दिया गया था कि वे बेरोजगार युवाओं को होप पोर्टल से जोड़ें और उन्हें प्रशिक्षण दें।
8.39 लाख बेरोजगार
सेवायोजन विभाग के दफ्तरों में वर्तमान में 8.39 लाख बेरोजगार पंजीकृत हैं। हर जिले में करीब-करीब एक लाख युवा रोजगार-स्वरोजगार तलाश रहे हैं। लेकिन सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में इस तरह की लापरवाही से शायद ही इनमें से 10% को रोजगार मिल सके।
पोर्टल में कोई अपडेट नहीं
होप पोर्टल लॉन्च होने के बाद उसमें अल्मोड़ा जिले में 3, देहरादून में 148, हरिद्वार में 1023, नैनीताल में 250, पौड़ी गढ़वाल में 1, टिहरी गढ़वाल में 5 और ऊधमसिंह नगर में 463 रिक्तियां दिखाई गई थीं। इधर, 2022 के अप्रैल माह में भी जिले वही हैं और रिक्तियों की संख्या भी वही है।