उत्तराखंड में बिजली के दाम लगातार बढ़े लेकिन नहीं बढ़ा मुआवजा

उत्तराखंड में बिजली के दाम लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन बिजली के कारण उपभोक्ताओं के घरों में फुंकने वाले उपकरणों का मुआवजा पिछले 15 साल में नहीं बढ़ाया गया है, जबकि उपकरणों के दाम में भी काफी बढ़ोतरी हो चुकी है, जन सुनवाइयों में मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग उठती रही है, जो अभी तक पूरी नहीं हुई है।

कारगी निवासी चंदन विश्नोई के घर में पिछले साल हाई वोल्टेज से फ्रिज, टीवी फुंक गया था। ब्राह्मणवाला में विजय प्रकाश के घर में गीजर, फ्रिज व एलईडी अचानक आई हाई वोल्टेज से फुंक गया। उन्होंने मुआवजे के लिए बिजलीघर में एप्लीकेशन दी। जब मुआवजे की डिटेल देखी तो मुआवजा बहुत कम था।

ऐसे में उन्होंने अपनी एप्लीकेशन ही वापस ले ली। हर साल बिजली के दाम बढ़ाने के लिए नियामक आयोग के पास अर्जी रखने वाले यूपीसीएल ने पिछले 15 सालों में एक भी बिजली से उपकरण फुंकने पर दिए जाने वाले मुआवजे को नहीं बढ़ाया। वोल्टेज के उतार-चढ़ाव से बिजली के उपकरण फुंकने पर तय मुआवजा ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। 16 जून 2007 को उपकरणों का मुआवजा पांच सौ रुपये तय हुआ था।

तब से यही दर लागू है। मोहनपुर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता वीरू बिष्ट ने विद्युत नियामक आयोग पर उपभोक्ताओं की समस्या को गंभीरता से ना लेने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि वे लंबे समय से विद्युत नियामक आयोग से मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। टीवी, फ्रिज, कूलर, एसी व मोबाइल फोन हाई वोल्टेज से फुंकने पर मात्र 500 रुपये के मुआवजे का प्रावधान है। मुआवजा प्रति उपकरण 2000 रुपये करने की मांग की जाती रही है।

ये नियम जानने भी जरूरी 
नियामक आयोग द्वारा जारी नोटिफिकेशन में वोल्टेज के उतार चढ़ाव पर उपभोक्ताओं को मुआवजे के क्लॉज में स्थानीय फॉल्ट को चार घंटे में ठीक करना, ट्रांसफार्मर की खराबी को तीन दिन के भीतर दुरुस्त करना, एचटी-एलटी लाइन को लगाकर चालू करने का कार्य 90 दिन के भीतर करने का समय तय किया गया है। इन सभी में प्रभावित उपभोक्ताओं को 25 रुपये से लेकर पांच सौ रुपये तक मुआवजे का प्रावधान है।

उपभोक्ताओं को राहत दी जाएगी : सती
विद्युत नियामक आयोग के सचिव नीरज सती ने कहा कि नियामक आयोग रेगुलेशन की नई एसओपी पर काम कर रहा है। इसमें मुआवजा राशि के नए रेट आएंगे। जिससे उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा। साथ ही सेवा में कमी पाए जाने पर भी उपभोक्ताओं को नए रेगुलेशन के आधार पर राहत प्रदान की जाएगी।

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