खास पेन से ही वोट डालेंगे सांसद, जानें क्या है मतदान की पूरी प्रक्रिया

भारत में 6 अगस्त को उपराष्ट्रपति के चुनाव होने जा रहे हैं। भारत निर्वाचन आयोग ने इस संबंध में नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। जारी कार्यक्रम के अनुसार, नामांकन करने की अंतिम तिथि 19 जुलाई तक है। हालांकि, अभी तक सत्तारूढ़ नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) और विपक्ष की तरफ से उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं की गई है।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 68 के अनुसार, अवधि समाप्त होने के कारण खाली हुए पद पर मौजूदा उपराष्ट्रपति का कार्यकाल खत्म होने से पहले चुनाव कराया जाना जरूरी है। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त 2022 को समाप्त हो रहा है। खास बात है कि राष्ट्रपति चुनाव के मुकाबले देश में उपराष्ट्रपति को चुनने की प्रक्रिया थोड़ी अलग है। इसे विस्तार से समझते हैं…

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कैसे होता है चुनाव
उपराष्ट्रपति का चुनाव भी इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए होता है। इसमें संसद के दोनों सदनों राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य शामिल होते हैं। खास बात है कि इन सदस्यों के वोट की कीमत एक ही होती है। यह चुनाव बैलेट के जरिए संपन्न होता है। राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति चुनाव नियम 1974 में शामिल नियम 8 के अनुसार, मतदान संसद भवन में होगा।

16वें उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए इलेक्टोरल कॉलेज में राज्यसभा के 233 चुने हुए और 12 मनोनीत सदस्य, लोकसभा के निर्वाचित 543 सदस्य शामिल हैं। कुल मिलाकर यह आंकड़ा 788 पर है। मतदान के समय सांसदों को उम्मीदवार के नाम के वरियता के हिसाब से निशाना लगाना होता है। मतदाता भारतीय अंकों के अंतर्राष्ट्रीय रूप में, रोमन रूप में, या किसी भी मान्यता प्राप्त भारतीय भाषाओं के रूप में वरियता दे सकते हैं।

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खास कलम से देना होगा वोट
ECI के अनुसार, ‘वोट पर निशान लगाने के लिए आयोग विशेष कलम की आपूर्ति करेगा। मतपत्र सौंपे जाने के बाद, नामित अधिकारी द्वारा मतदान केंद्र में मतदाताओं को कलम दिया जाएगा। मतदाताओं को केवल इस विशेष कलम से ही, न कि किसी अन्य कलम से मतपत्र को अंकित करना होता है। किसी अन्य कलम का उपयोग करके मतदान करने पर मतगणना के समय मत अमान्य माना जाएगा।’

ये हैं कुछ कड़े नियम
संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान गोपनीय ढंग से होगा। साथ ही आयोग के मुताबिक, इस चुनाव में खुला मतदान करने की कोई अवधारणा नहीं है और राष्ट्रपति एवं उप-राष्ट्रपति के चुनाव के मामले में किसी भी परिस्थिति में किसी को भी मतपत्र दिखाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है। वर्ष 1974 के नियमों में निर्धारित मतदान प्रक्रिया में यह प्रावधान है कि मतदान कक्ष में वोट पर निशान लगाने के बाद मतदाता को मतपत्र को मोड़कर मतपेटी में डालना होता है।

मतदान प्रक्रिया के किसी भी उल्लंघन पर पीठासीन अधिकारी द्वारा मतपत्र को रद्द कर दिया जाएगा। ECI के अनुसार, ‘यह भी स्पष्ट किया जाता है कि उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान के मामले में राजनीतिक दल अपने-अपने सांसदों को कोई व्हिप जारी नहीं कर सकते हैं।’

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