अगले लोकसभा चुनाव से पहले होने वाले लगभग एक दर्जन राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा मौजूदा मुख्य मंत्रियों को छोड़कर अन्य राज्यों में किसी नेता को बतौर मुख्यमंत्री पेश करने से बचेगी। पार्टी की रणनीति सामूहिक नेतृत्व में चुनाव में जाने की है, ताकि पूरी ताकत से जीत की तैयारी की जा सके। इससे 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए भी जमीन मजबूत की जा सकेगी।
अगले दो साल में 11 राज्यों गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें पांच राज्यों गुजरात, हिमाचल, त्रिपुरा, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में भाजपा की अपनी सरकारें हैं, जबकि तीन राज्यों मेघालय, नगालैंड व मिजोरम में उसके सहयोगी सरकार में है। इसके अलावा तीन राज्य राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में विपक्षी दल सत्ता में है। इन तीनों राज्यों में भाजपा को सत्ता हासिल करने के लिए कड़ा मुकाबला करना है। इनमें दो राज्यों में कांग्रेस और एक में टीआरएस की सरकार है।
राजस्थान और तेलंगाना में की दो बड़ी बैठकें
भाजपा नेतृत्व में ने विपक्षी सत्ता वाले तीनों राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के लिए अपनी रणनीति को धार देने शुरू कर दी है। पार्टी ने हाल में अपनी दो बड़ी बैठकें राजस्थान और तेलंगाना में की है। राजस्थान के जयपुर में पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक हुई थी और उसके लगभग एक महीने बाद तेलंगाना के हैदराबाद में पार्टी ने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कर चुनाव अभियान को तेज किया है।
रमन और वसुंधरा प्रबल दावेदार
सूत्रों के अनुसार, पार्टी गुटबाजी से बचने और मजबूत तैयारी के लिए इन तीनों राज्यों में किसी एक नेता को बतौर मुख्यमंत्री पेश करने से बचेगी। इनमें दो राज्यों छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा पूर्व में सरकारों में रह चुकी है और उसके दो बड़े नेता पूर्व मुख्यमंत्री राजस्थान में वसुंधरा राजे और छत्तीसगढ़ में रमन सिंह एक बार फिर मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं। इन दोनों का समर्थक खेमा यह कोशिश भी करता रहा है कि उनके चेहरे को आगे रखकर चुनाव मैदान में जाए जाए। हालांकि केंद्रीय नेतृत्व लगातार सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कर रहा है।
नेतृत्व होगा, चेहरा नहीं
इन 11 विधानसभा के चुनाव में पांच में भाजपा के अपने मुख्यमंत्री हैं। इनमें गुजरात में भूपेंद्र पटेल, हिमाचल में जयराम ठाकुर, त्रिपुरा में माणिक साहा, मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान और कर्नाटक में बसवराज बोम्मई शामिल है। पार्टी इनके नेतृत्व में ही इन राज्यों में चुनाव में जाएगी, हालांकि रणनीति के तहत फिर से मुख्यमंत्री बनाने के वादे से बचने की कोशिश करेगी।
कांग्रेस शासन मुक्त भारत की कोशिश
भाजपा के रणनीतिकारों की कोशिश है कि 2024 के लोकसभा लोकसभा चुनाव से पहले देश के किसी भी राज्य में कांग्रेस की सरकार न हो। भाजपा ने पूर्व में भी कांग्रेस मुक्त सरकार का नारा दिया हुआ है और उस पर उसने अमल करते हुए कांग्रेस को सिर्फ दो राज्य तक सीमित कर दिया है। अगर कांग्रेस इन दोनों राज्यों में असफल रहती है और बाकी राज्यों में सत्ता वापसी नहीं कर पाती है तो भाजपा अपने इस एजेंडे को भी पूरा कर लेगी। यह 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए उसका एक बड़ा नारा भी बन सकेगा।